STORYMIRROR

Gaurav Chhabra

Tragedy

4  

Gaurav Chhabra

Tragedy

हम गरीब है पर खुशनसीब है..

हम गरीब है पर खुशनसीब है..

1 min
388

हम गरीब है पर खुशनसीब है

उदासी के हर पल, बहुत करीब हैं

हम गरीब है पर खुशनसीब है


ना कल का पता ना आज का पता

जो अभी हाथ में है बस उसका ही मज़ा

मुश्किलों के हर बादल, बहुत करीब है

हम गरीब है पर खुशनसीब है


ना पूरी छत ना समतल ज़मीन

कच्ची पक्की दीवारें कुछ आधी रंगीन

मजबूरी के हर आंसू, बहुत करीब है

हम गरीब है पर खुशनसीब है


उधारी पर जिंदगी आधी ब्याज में कटती

मूल कभी चुकता नहीं कैसी है यह हस्ती

लेनदारों के हर बाण, बहुत करीब है

हम गरीब है पर खुशनसीब है


हर मंदिर की घंटियाँ एक ही तान सुनाये

धीरज धरो धीरज धरो पर नसीब ना बदल पाए

क्षमताओं के हर हथियार बहुत करीब हैं

हम गरीब है पर खुशनसीब है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy