आवाज हर लड़की को
आवाज हर लड़की को
मैं एक जलती आग हूं
जिसे कोई बुझा ना पाए।
मैं एक शक्ति हूं
जिसे कोई मिटा न पाए।
मैं एक मशाल हूं
जिसे चलती हवाएं भी तबाह ना कर पाए।
मैं हूं एक शरीर
जो बन गई है किसी की लकीर
क्या कमी थी मुझ में
जो कूड़े दान में पाई गई
अगर एक मौका देती तुम
तो बेटी से बेटा बनकर दिखती
बस अगर एक मौका देती तुम
बस अगर एक मौका देती तुम....
क्यूं पापा ? क्यूं हूं मैं अपने भाई से अलग
क्यों हूं मैं आपसे अलग ?
अगर मैं बेटे के बराबर होती तो क्या होता ?
अगर ऐसा होता तो क्या होता
जाने क्यों मिटा रहे है लोग मेरे अस्तित्व को
लेकिन खोज में मैं हूं अपनी पहचान को
बस अपनी पहचान को।
