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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy Inspirational

हमारी नज़र

हमारी नज़र

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हमारी नज़र हमसे ही सवाल पूंछती है

हमारी नज़र खुद को आईने में ढूंढती है


क्या ये वो मुन्ना है,पहले हुआ करता था,

हमारी नज़र वो मासूम चेहरा ढूंढती है


पहले क्या थे हम,अब क्या हो गयेे हम,

हमारी नज़र तम में खोया हम ढूंढती है


हमारी नज़र हमसे ही सवाल पूँछती है

वो फूल बहुत ही गहराई में चला गया है,


हमारी नज़र अंजुमन में वो सुमन ढूंढती है

बाहर बहुत देखा है,ज़रा अंदर देख लूँ,


क्या पता कोई रोशनी भीतर भी छूटी हो,

हमारी नज़र भीतर के सूर्य को ढूंढती है


हमारी नज़र हमसे ही सवाल पूछती है

आईने में खोये ख़ुद के अक्स ढूंढती है।


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