STORYMIRROR

deepshikha divakar

Tragedy

4.5  

deepshikha divakar

Tragedy

मेरी आजादी

मेरी आजादी

1 min
190


ये आजादी तुमको मुबारक

ये शान शौकत तुमको मुबारक

 

ये अल्हड़ हसी तुम्हें मुबारक 

ये बेबाक बातें तुम्हें मुबारक


मैं तो अभी भी जकड़ी हूँ

इन प्रथाओं से पकड़ी हूँ


मैं ना मुस्कुरा सकती हूँ

मैं ना बाहर जा सकती हूं 


मेरी डोर समाज के हाथ हैं

मेरी आजादी कल की बात है


ये कल कभी आता नहीं 

मेरी स्वाधीनता लाता नहीं


माँ की कोख में भी आजाद नहीं

जन्म लेने का हक भी नहीं


मेरी आजादी है कहां 

मेरी दुनिया है कहां 


हर कोई नोचे मुझे यहां 

मेरी आजादी है कहां

मेरी आजादी है कहां।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy