गरीब की दीवाली
गरीब की दीवाली
आज है दीवाली
सब तरफ है खुशहाली
कोई पैसे से खुशियां लाया
कोई कमियों में भी मुस्कुराया
यहां ख्वाहिशों का कोई अंत नहीं
वहां जीवन से कोई उम्मीद ही नहीं
आज उस बच्चे की मासूम मुस्कान देखी
जिसमे ना कोई चाह थी ना कोई मलाल
चलता है वो बस अपनी चाल
नहीं कहता किसी से अपना हाल
उसकी खुशियां पैसे की मोहताज नहीं
वो तो छेड़ेगा अपने साज कहीं
जो तुम दिखावा करने में लुटाते हो
बदले में बस उलहाने पाते हो
कभी गरीब की दीवाली सजाओ
कभी उनके घर खुशियां लाओ
बदले में दुआएं भरपूर पाओ!
