लक्ष्य
लक्ष्य

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क्यों आया तू यहां
तेरा लक्ष्य है कहां
जीवन भर बस जोड़ा
अपनों से नाता तोड़ा,
ये गुमान है क्यों
झूठा मान है क्यों,
उस ईश्वर को भुला
लालसा में झूला
तुझे भेजा क्यों
तुझे चुना क्यों
तू ही क्यों
तू ही क्यों ?
कभी सोचा भी नहीं
कभी जाना भी नहीं
खुद को अबतक पहचाना भी नहीं
लक्ष्य को तू प्राप्त कर
कुंठा को समाप्त कर
जन्म को सार्थक कर
लक्ष्य को तुं प्राप्त कर!