शौर्य नारी
शौर्य नारी
मर्दानी शौर्य की ढ़ाल लिये
वो नारी प्रचंड रूप सी
लिए संग स्नेह संवेदना
वो नारी संघर्ष नूर सी
माथे पर तिलक विजय लिये
हाथों से दया प्रदायिनी
आँखों में झलक है प्रेम की
बातों मे उदारता स्नेह की
उज्ज्वला की ढ़ाल लिए
चली भयंकर स्याह सी
कभी जननी बनी रही
कभी विकराल काल सी
ममता की हर रूप समायी
वो नारी मर्दानी मूर्त सी
हर अंश अंश निवासिनी
त्रिशूल शंख की धारिणी
वो नारी विजय प्रदायिनी
साध्वी भी कभी कहलाई
कभी कालरात्रि की छवि
वो माँ प्रखण्ड प्रकाश सी.