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Vedant Kashyap

Inspirational

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Vedant Kashyap

Inspirational

समय -चक्र

समय -चक्र

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कहता है पपीहा राह राह में...

ढूंढ ना अपनी मंजिल !!


झांक के देख आत्म दर्पण में !

तू है सिर्फ मुसाफिर !!


मंजिल ना तेरी कोई यहां पे !

तू है भटका का राहगीर !!


भूली भटकी सी गलियों में !

ठहराव न तेरी मंजिल !!


राही तू अलबेला डगर में !

खुद को कब पहचानेगा !!


लिपटे अपने पद चिन्हों से !

भ्रम से तू कब जागेगा !!


बचपन से यौवन के रास्ते !

बुढापा में मिट जाएगा !!


एक नई पंख एक नई दिशा मे !

खुद का अस्तित्व पाएगा !!


आया है माटी से बनके !

माटी में मिल जाएगा !!


एक नई बीज मे फिर पनप के !

राह में खुद को पाएगा !!


कहता है पपीहा राह राह में...

ढूंढ ना अपनी मंजिल !!


तू तो सिर्फ मुसाफिर रे !

समय चक्र ही तेरी मंजिल !!

         


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