अपनी अदा
अपनी अदा
नजर अंदाज करके मुखबिरों की बाते, खुद की शख्सियत पर इतराकर चल,
खुदा ने नवाजा है तुझे जिन खूबियों से, उनको पहचान और मुस्कुरा कर चल,
तेरी शख्सियत नहीं दूसरों के नजरिए की मोहताज,
खुद की नजरों में अपना वक्त बढ़ाकर चल,
इंसान होना काफी नहीं इस जहां में,
इंसानियत का अलख दिल में जलाकर चल,
कारवां नहीं मिलता सफर की शुरुआत में किसी को,
इस हकीकत को दिल से लगा,
रख भरोसा खुद पर, मंजिल पर नजर,
हिम्मत से कदम बढ़ाकर, कर्म का परचम लहरा,
मिलता नहीं ज़हीन मुकाम किसी को, होकर अपनी मुफलिसी पर फ़ना,
सबसे अलग अपनी अदा, इस फलसफे से जिंदगी
अपनी खास बना।