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Kavita Sharrma

Inspirational

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Kavita Sharrma

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रिश्तों की महक

रिश्तों की महक

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उलझते रिश्ते सुलझा सको तो सुलझा लो

दूर जाने के बाद कोई लौट कर आता नहीं

फिर मन में पछताने से बेहतर है कहीं

थोड़ा अब ही क्यों न‌ झुक जायें अभी

ये रिश्ते ही तो हैं जो जीने की वज़ह हैं

वरना जाना सबने तन्हा ही है इक दिन

क्यों न इस छोटी सी जिंदगी को रिश्तों

से आबाद कर लें खुशियां अपने नाम कर लें।


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