जंगल
जंगल
आओ मीठु एक पेड़ लगाये, पेड़ लगाकर जीवन महकाये,
लेकिन पेड़ हम क्यों लगाये मां? क्यों ना जंगल से,कोई पेड़ काट लाये,
अच्छा मीठु, तुम तो बड़ी सयानी ,बातें बनाने में सबकी नानी ,
चलो सुनाऊं तुम्हे एक कहानी,कहानी जो मैने सुनी अपनी दादी की जुबानी,
दूर देश में था एक व्यापारी,जिसकी चर्चा करती नगरी सारी।
एक दिन व्यापारी के मन आया एक विचार,बनाया जाये एक भव्य महल अपार,
मजदूर बुलाये,काटने को एक सुंदर वन विशाल,
ज्यों ही कुल्हाड़ी चलायी,एक गौरैया रोती हुई व्यापारी के पास चली आयी,
बोली इस पेड़ पर मेरा घोंसला है,जिसमें मेरे छोटे बच्चे रहते
गर काटा तुमनें यह पेड़,तो मेरे बच्चें कहां जायेंगे?
पंख अभी उनके है नहीं वह तो उड़ भी नहीं प
ायेंगे।
व्यापारी ने फिर छेड़ी तान, मुझे बनाना है अपना भवन विशाल,
तभी पेड़ बोला,किसी का आशियाना गिराकर क्या तुम.सुख से सो पाओगे?
यूं ही काट रहा हर इंसान हमको,तो शुध्द हवा कहां से लाओगे ?
महल जरूरी नहीं शुध्द हवा पानी जरूरी है,इन दोनों के बिना जिंदगी अधूरी है,
पशु, पक्षी ,पेड़ बिना तो,दुनियां भी बेजार और अधूरी है,
तुम हमारा अस्तित्व मिटाकर कितना जी पाओगे ?
पेड़ देते जीवन सबको,इस सच को कब तक झुठलाओगे,
सुनकर बात गौरैया और पेड़ की,व्यापारी का मन बदल गया
गौरैया संग पेड़ का प्यार देखकर उसका मन भी पिघल गया
सुनो मीठु ,बांध लो गांठ, की पेड़ हमें अधिक से अधिक लगाने है,
अगर जीना है इस जग में तो,अधिक सुंदर वन हमें बनाने है।