वक्त
वक्त
वक्त सम सच्चा पारखी नहीं कोई संसार में,
गुरूर इंसान का तोड़ देता है, अपनी लाठी की झंकार में ।
अच्छा, बुरा, सही, गलत, न्याय, अन्याय सबका हिसाब कर देता है पल में,
इंसान लाख करे चालाकियां, नहीं बांध सकता वक्त के इंसाफ को अपने छल में।
कृष्ण ने भी वक्त और धैर्य का दामन पकड़ने को कहा, पांडवों को दिये ज्ञान में,
परमात्मा ने भी कर्मों का हिसाब छोड़ दिया, वक्त के सबल हाथों के सम्मान में।
किसी का दिल दुखाकर तुम, खुशनुमा जिंदगी पा नहीं सकते,
हिसाब दिये बिना इस मरुभूमि में बहाये किसी के अश्रुओं का, तुम इसे छोड़ जा नहीं सकते।
सोने और पीतल सरीखे कर्मों को परखने का हुनर रखता है,
वक्त से बड़ा जौहरी नहीं कोई साहब! बड़ी पैनी नजर रखता है।