आकाश
आकाश
जब भी
आकाश की ओर
देखती हूं
उसकी विशालता
मुझे
अपनी ओर खींचती है
जैसे
वह कहना चाहती है
समा लो
सारी खुशियां
अपने आंचल में तुम
मुठ्ठी में बंद पड़े
मेरी भावनाओं को
पंख देता आकाश
नजाने क्यों
मुझे
एक शक्ति का आभास
करा जाता है
जब भी
आकाश की ओर
देखती हूँ
अपने वजूद से रुबरु होती हूँ ।