आओ मिलकर बनाते हैं वैश्विक धर्म समभाव से। आओ मिलकर बनाते हैं वैश्विक धर्म समभाव से।
क्षमा का चयन करें आओ चलो ऐसा करें। क्षमा का चयन करें आओ चलो ऐसा करें।
आकाश की ओर देखती हूँ अपने वजूद से रुबरु होती हूँ । आकाश की ओर देखती हूँ अपने वजूद से रुबरु होती हूँ ।
चूर-चूर हुए हैं काँच की तरह, पर भट्टी में जलकर, आकार लेने की हम में प्रखरता है चूर-चूर हुए हैं काँच की तरह, पर भट्टी में जलकर, आकार लेने की हम में प्रखरता ह...
आज हमारी मानवीय मूल्यों का पतन होता जा रहा है| हम दंभी, स्वार्थी व संकीर्ण होते जा रहे हैं| आज आज हम... आज हमारी मानवीय मूल्यों का पतन होता जा रहा है| हम दंभी, स्वार्थी व संकीर्ण होते ...
तुम कल्पना भी नहीं कर सकते उसकी विशालता और त्याग की, तुम कल्पना भी नहीं कर सकते उसकी विशालता और त्याग की,