STORYMIRROR

Sujata Kale

Abstract

2  

Sujata Kale

Abstract

वैश्विक धर्म समभाव

वैश्विक धर्म समभाव

1 min
158

जुदा जुदा हैं रंग यहाँ

जुदा जुदा हैं भेस

कोई हिन्दू, मुस्लिम है

कोई सिख, ईसाई वेश।


सब रंग की छटाओं से

बनता है हिन्दुस्तान

एकता ही विशालता में

रहता एक है भगवान।


एक रास्ते से चलते हैं

जैसे जुड़ता इंद्रधनुष

आँधी या तूफान हो

हमारा अखंड कल्पवृक्ष।


हरा, नीला या केसरिया हो

रंगे मानवता के रंग से

आओ मिलकर बनाते हैं

वैश्विक धर्म समभाव से।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract