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वैश्विक धर्म समभाव

वैश्विक धर्म समभाव

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जुदा जुदा हैं रंग यहाँ

जुदा जुदा हैं भेस

कोई हिन्दू, मुस्लिम है

कोई सिख, ईसाई वेश।


सब रंग की छटाओं से

बनता है हिन्दुस्तान

एकता ही विशालता में

रहता एक है भगवान।


एक रास्ते से चलते हैं

जैसे जुड़ता इंद्रधनुष

आँधी या तूफान हो

हमारा अखंड कल्पवृक्ष।


हरा, नीला या केसरिया हो

रंगे मानवता के रंग से

आओ मिलकर बनाते हैं

वैश्विक धर्म समभाव से।


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