तू रस्ता रस्ता पर्वत कर मैं पर्वत पर्वत तोड़ूँगी तू इंसां इंसां दुश्मन कर मैं जन जन अपना खोजूँग... तू रस्ता रस्ता पर्वत कर मैं पर्वत पर्वत तोड़ूँगी तू इंसां इंसां दुश्मन कर म...
चूर-चूर हुए हैं काँच की तरह, पर भट्टी में जलकर, आकार लेने की हम में प्रखरता है चूर-चूर हुए हैं काँच की तरह, पर भट्टी में जलकर, आकार लेने की हम में प्रखरता ह...
आज एक की हैै सरकारी नौकरी मां की छांव में दो हैं अपनी अपनी पढ़़ाई केे लिए अडिग दांव म आज एक की हैै सरकारी नौकरी मां की छांव में दो हैं अपनी अपनी पढ़़ाई केे लिए अड...
ये कैसा पड़ाव है जीवन का आत्मा को मिले दर्द ये कैसा पड़ाव है जीवन का आत्मा को मिले दर्द
उठ कर, गिर कर, ये आँखें एक अदा एक भाव अनोखा दे जाती हैं। उठ कर, गिर कर, ये आँखें एक अदा एक भाव अनोखा दे जाती हैं।
जो धन पास दूसरे के पास हमारा, पुस्तक तक सीमित ज्ञान महान। जो धन पास दूसरे के पास हमारा, पुस्तक तक सीमित ज्ञान महान।