आँखें
आँखें
आँखें सलोनी...
आँखें, अक्सर धोखा दे जाती है
कभी मेरे झूठ, कभी मेरी बात से
मुकर के, मुझे एक मौका दे जाती है
कि मैं अडिग रहूँ अपने सच पर
वो साथ देंगी, भले फिर शर्म लिये,
झुक के नम्र होकर भी दृढ़ता लिये ।
उठ कर, गिर कर, ये आँखें एक अदा
एक भाव अनोखा दे जाती हैं।
कुछ आँखें ऐसी होती हैं
जिनमें विश्वास झलकता है ।
मेरे हर सही- गलत को मानो
कोई हे ,जो परखता है
इस अनजान, अजब दुनिया में
रोज़ नया कोई मिल जाता है
पर उन कुछ आँखों को देख
मेरा हर दोष बिलख उठता है
क्रोध, घृणा और द्वेष से लेकर
प्यार, चिंता, पागलपन तक
सब कुछ "कह 'जाती हैं ये दोनों
फिर भी ख्वाब संजो के रह जाती हैं
कभी ये मुझसे छल करके
अंतर का झरोखा दे जाती हैं
ये आँखें , अक्सर ही धोखा दे जाती हैं.....