गांव में शिक्षिका
गांव में शिक्षिका
गरीब घर से थी वो पूरा नहीं पढ़ पाई थी
दिमाग से तेज थी कुछ भुलाा भी न पाई थी
चाहकर भी मैरिट सेे आगेे कॉलेज ना गई
और फिर घरवालों की खुुुशी से शादी हो गई।
हमसफर पढ़ा था लेकिन वो कमाता ना थाा
नौकरी कोई छोटी वह करना चाहता ना था
बहुत समझाया और मनाया था अपना पति
आज तक खुल कर उसने पल बिताया न था।
हार मान ली पति से उसने खुद जीने की ठानी
आगे पढाई करूंगी मैं और की उसने मनमानी
सिलाई करते कॉलेज की फीस उसने भरी
बच्चों को देखतेे सास की भी सुनती थी खरी।
अपने दम पर पढ़ी और स्नातक कर लिया था
शिक्षक केे प्रशिक्षण के लिए उसने उधार लिया
बाकी बहुवें जलती थी जो थी देवरानी जेठानी
सास के सामनेे नीचे दिखा उसे बनती जो सयानी।
बनी अब शिक्षिका और बोलना हुआ बंद सबका
कानाफूसी करते ऊंचा फिर भी खुद को दिखाते
अपने बच्चों को खुद ही स्कूल दिलाए हैं अव्वल
उसके बच्चे भी हैैं सब अपने में दृढ़ और प्रबल ।
आज एक की हैै सरकारी नौकरी मां की छांव में
दो हैं अपनी अपनी पढ़़ाई केे लिए अडिग दांव में।
