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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational

ज्ञान व्यवहार में करे कल्याण

ज्ञान व्यवहार में करे कल्याण

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जो धन पास दूसरे के पास हमारा,

पुस्तक तक सीमित ज्ञान महान।

व्यवहार में आकर ही भला करेगा,

पुस्तकों का संचित सैद्धांतिक ज्ञान।


आहार-विहार-विचार हो हमारा कैसा?

यह जानकारी तो पुस्तक हमको देती है।

कैसा हो आचरण और व्यवहार हमारा,

स्वास्थ्य-यातायात नियमों की सूचना देती है।

इन्हें लागू भी करते हैं हम निज जीवन में,

या केवल ज्ञानी बन रहते हम बने महान।

जो धन पास दूसरे के पास हमारा,

पुस्तक तक सीमित ज्ञान महान।

व्यवहार में आकर ही भला करेगा,

पुस्तकों का संचित सैद्धांतिक ज्ञान।


यह करना है और यह नहीं है करना,

केवल सोचने से कुछ नहीं काम बनेगा।

पाकशाला में पहुंच और जल में उतर ही,

उत्तम पाकशास्त्री या कुशल तैराक बनेगा।

कुशलता - निपुणता उसे न कभी मिलेगी,

जो दूर है या व्यवहारिक ज्ञान से है अनजान।

जो धन पास दूसरे के पास हमारा,

पुस्तक तक सीमित ज्ञान महान।

व्यवहार में आकर ही भला करेगा,

पुस्तकों का संचित सैद्धांतिक ज्ञान।


आदर्श मनुज-समाज और जगत हो कैसे?

ज्ञान अगणित ग्रंथों में आदिकाल से समाहित है।

चिंतन-भाषण-कल्पना से न होना कुछ भी हित है।

नियोजन-साहस-धीरज-दृढ़ता से परिवर्तन होगा,

जब शुभ सिद्धांतों को व्यवहार में लेंगे ठान।

जो धन पास दूसरे के पास हमारा,

पुस्तक तक सीमित ज्ञान महान।

व्यवहार में आकर ही भला करेगा,

पुस्तकों का संचित सैद्धांतिक ज्ञान।


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