कोरोना तुम्हें हारना होगा
कोरोना तुम्हें हारना होगा
जानती हूँ
तुम अदृश्य हो
भय से आतंकित
संक्रमित वायरस हो
जात-पात, धर्म
ऊँच-नीच से तुम्हें
कोई फर्क नहीं पड़ता
तुम्हें तो तलाश रहती है
मानव शरीर.......
जहां प्रवेश कर तुम
मचाते हो तांडव
रक्तबीज सा हुंकार भर
सैकड़ों कोरोना का
रूप धारण कर,
इस शरीर से
उस शरीर तक
केवल आक्रांत कर
कभी कमजोर दिलवाले
वृद्ध, बच्चों के जीवन
लिखने से भी नहीं चुकते
बढ़ते तुम्हारे पंख ने
उड़ान भरते हुए
नजाने कितने देशों में
संहार लीला चलाते हुए
हमारे सर जमीं
हिंदुस्तान में तुमने
कदम रखा......
जानती हूँ तुम जरुर
खुश फहमी में रहे होंगे
इतनी बड़ी आबादी में
मुझे मानव शरीर
आसानी से मिल जाएगा
मगर
देवतुल्य डॉक्टर्स और
नर्सो की कर्तव्य परायणता
और
सरकार की तत्परता ने
तुम्हारे और हमारे बीच
लॉकडाउन जैसी दुरियां
खड़ी कर दी है
जानती हूं
तुम बहुत खतरनाक हो
रंग भेद कुछ नही देखते
संक्रमन तुम्हारा स्वभाव
आतंकित करना
तुम्हारा काम
मगर कोरोना तुम्हें
नहीं पता
जब-जब रक्तबीज ने
आक्रमण किया
तब-तब माता काली ने
रक्त पीकर
उसे खत्म कर दिया
अब हमारे देश में
तुम्हारे हमारे बीच
युद्ध जारी है.......
लॉकडाउन
हमारे बीच का
फासला है
हम भारतीयो ने
ठान लिये है
तुम्हारे खिलाफ
बिगुल बजाकर अब
घरों कैद होकर रहेंगे
इसलिये तुम भी सुन लो
कोरोना तुम्हें हारना होगा।
