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Rita Singh

Inspirational Others

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Rita Singh

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नवगीत

नवगीत

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भीड़ भाड़ से दूर

खींच लाया है 

मन मेरा मुझे 

हरियाली की

छाँव में 


कितनी रमणीय आंखों में 

सुकून पहुँचाता हरित वन

चिड़ियों की 

चहचहाहटों के बीच

कविता उमड़ी भाव में 


विकास के नाम पर

कटते रहें 

वन ,जंगल और पहाड़ 

आंसू कितनी छलके होंगे

दर्द कितने सहे होंगे

अब तो लगा है जीवन भी

जैसे हमारे दांव में 


लौटना चाहता है अब

धीरे-धीरे 

फिर से पुराने ढर्रे में 

विकास तो ठीक है मगर

स्वच्छ वातावरण चाहिए 

जहां निर्भीक होकर हम 

जी सके हरे भरे गांव में 


शांत, सुरम्य 

हरियाली बीच

कितनी शांति 

नदी में छाई है

आओ चलते है 

आज सफर में साथी

नजारे देखते हुए 

हम नाव में।



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