विद्यालय।
विद्यालय।
खुला विद्यालय बच्चों का जो चाहे वह चला आये,
शरण में आकर गुरुजी की, अमूल्य ज्ञान को वो पाये।
परम आनंद मिलता, शांति मिलती, आत्म सुख मिलता,
जो मिलता है यहां आ करके, कहीं कोई नहीं पाये।
यहां पर मिलता वह ज्ञान है, तरसते हैं अज्ञानी जिसको,
जिसे यह ज्ञान पाना होए, वह इस विद्यालय में चला आये।।
लड़का हो या वह लड़की बाल्यावस्था हो या किशोरावस्था,
नहीं बंधन किसी को कुछ भी, जो चाहे वह चला आये ।।
अमीरों का, न गरीबों का बंधन, न कोई धर्म का बंधन,
यह शाश्वत धर्म है ,वह धर्म जो चाहे चला आये ।।
हँसा देते, खिला देते, मिला देते गुरुजी सबको,
वह सब में देखते एकता, चाहे कोई यहां चला आये ।।
यही संदेश गुरुजी का सुनाने "नीरज" तुम्हें आये,
पढ़ लिख कर पढ़ो- बढ़ो यही आग्रह करने आये ।।