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Shailaja Bhattad

Inspirational

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Shailaja Bhattad

Inspirational

जस्बात

जस्बात

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परिंदों की उड़ान तन्हा नहीं थी कभी ।

कुर्बत के साए में परवाज लेती रही।


शज़र में तो कभी शहर में रही। 

मगर हर वक्त कुर्बत में रही।


 परवाज ने उसकी,

 फासले न बनाएं कभी ।

मिलती रही उसे,

 अपनों से दुआएं सभी ।


 तमन्नाओं को भी न झुकाया उसने।

 हौंसले जो बढ़ा दिए जस्बातों ने मिलके।


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