मेरे पापा
मेरे पापा
अन्धेरे से मैं
कितना डरता था
पर पापा, जब आप
मेरी अंगुलियां पकड़ते थे
तो मुझे
हौसला मिलता था
मेरा डर पल में ही
छूमंतर हो जाता
एक शाक्ति का आभास
करा जाता
सच आपके पास
क्या जादुई छड़ी है
जो घुमाते ही
सब इच्छाएं
पूरी हो जाती है
पर कहां से
ले आते हैं आप
इतनी शक्तियाँ ?
जो सबसे लड़ कर
हमारे लिए
सशक्त मार्ग बनाते हैं
पापा आप सचमुच
एक ऐसा
आधार स्तम्भ हो
जिसके छत्रछाया तले
हम सुरक्षित हैं
मेरे जीवन का आप
एक आदर्श हैं
आपसे ही हूँ मैं
आपका एक अंश
न छुटे कभी
मेरे यें अंगुलियां
आपके हाथों से......