माँ
माँ
माँ वेद माँ पुराण है
माँ सृष्टि का आधार है
गंगा सी पावन अश्रु जल
माँ खुशियों की संसार है।
काशी है माँ काबा है माँ
गीता है माँ कुराण है
सर्वस्व न्यौछावर जो करे
माँ वात्सल्य है वो प्यार है।
करुणा दया की भाव माँ
आँचल में ममता को लिए
है स्वर्ग चरणों में जहाँ
माँ सर्व तीर्थ वार है।
माँ आयतें है कुराण की
माँ श्लोक गीता की यहाँ
माँ बाइबिल गुरु ग्रन्थ साहिब
सृष्टि सृजन का आधार है।
माँ धूप में एक छाँव है
माँ स्नेह उर का स्वभाव है
माँ ज्ञान मान प्रदायिनी
माँ भाव की संसार है।
धरती है माँ आकाश माँ
अपनत्व का एहसास माँ
करता नमन सादर शिवम
चरणों में माँ स्वीकार है।।
