ऐसा देश हो मेरा
ऐसा देश हो मेरा
क्या सबका मन नहीं करता
अपनी आँखों से स्वर्णिम भारत को देखें,
ऊपर उठता सुंदर स्वच्छ
दुनिया का बेताज़ बेनमून भारत।
न जात पात पे झगड़े
हो ना हरा केसरिया फ़र्क हो,
इतनी बड़ी जगह पर एक तरफ़
मंदिर दूसरी तरफ़ मस्जिद हो,
जब इश्वर अल्लाह एक है
तब उस पर ये कैसा विवाद है
हर किसान खुशहाल हो
खेत खलिहान फसल से मालामाल हो।
महासत्ता से कदम मिलाता
भारत मेरा बलवान हो,
सरहद की सीमा पर बैठे
जुग जुग जीए वीर मेरे,
हर सुहागिन माँग सजी
हर माँ के दिल धैर्य हो
धरती माँ की छाती पर
कभी शहीदों का कोई बोझ न हो,
रक्त रंजीत नज़ारा भारत की
भूमि पर कहीं न हो,
रात के पहले पहर में ना
कभी कोई भूखा हो,
हर बच्चे के हाथ में
कलम और किताब हो,
रोजगार हो सबके हिस्से
जिसकी जितनी बिसात हो।
विश्व के नक्शे पर
सबके उपर अपना नाम हो
दुश्मन भी ना वार करे
ऐसे हाथों में कमान हो।
सारे देशों में बस मेरा
भारत सबका सरताज हो
मुश्किल है नामुमकिन नहीं
गर मुठ्ठी बन जाए ऊँगलियाँ,
बिखरे पड़े मोती की माला
मिलकर हमें बनानी है
एकता के धागे बुनकर
सोच नई बनानी है,
हिन्दू मुस्लिम सिख़ ईसाई
इस देश के भाई-भाई है,
जुड़ जाओ सब एक बनो
इसमें ही माँ भारत की शान है।