मेरा रूह और मेरा कुतुबख़ाना।।
मेरा रूह और मेरा कुतुबख़ाना।।
रोज मिलती हूँ
कई खुशबूदार लोगों से मैं।
जिनके खुशबू से महका करता है
इस कमरे का कोना कोना।
कहीं टैगोर तो कहीं वड्र्सवर्थ
नजर आते हैं।
कहीं शेक्सपीयर तो कालिदास
खड़े मिलते हैं।
टेनिसन, कीट्स, शेली,इलियट,
मिल्टन, वुल्फ,सुमित्रा के संग
महादेवी भी होती हैं।
और सुनो
आजकल चेतन,विक्रम,
झूम्पा भी होती हैं।
कई नवीन तो कई प्रवीण
से मिलती हूँ मैं,
यूँ हीं कुछ खुशबूदार लोगों से
रोज मिलती हूँ मैं।
और जिनकी खुशबू से महका करता है
मेरा "रूह "और मेरा यह "कुतुबख़ाना"!!
