सच
सच
'सच' तू इतनी चुभती क्यों है ?
'झूठ' तो सबको लुभाती यूं है।
क्यों नहीं बन सकती मायावी ?
रंग बदलती पल पल, भांति भांति।
सफेद रंग ओढ़े आ जाती हो
लोगों को आइना दिखा जाती हो।
तुम्हें सहना,सुनना और कहना
बहुत कठिन है 'सच'!
यहां तो झूठ का बोलबाला है बस
सुनों
यह कलियुग है 'सच'!
यह तो कलियुग है सच !
