Sarbani Daripa

Abstract

4.9  

Sarbani Daripa

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अतर की शीशी

अतर की शीशी

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अतर की शीशी लाई हूँ।।


जिस्म की खुशबू नहीं

रूह की महक लाई हूँ।


अतर की शीशी लाई हूँ।।


ख़लिश अब रहा नहीं

खालिस मुहब्बत लाई हूँ।।


अतर की शीशी लाई हूँ।।


जिन्दगी की जिस्म में 

छिड़कने आई हूँ।


मैं अतर की शीशी लाई हूँ।।

            


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