*सपना
*सपना
ख्वाबों को पिरो कर
ख्वाबों को सजो कर,
एक पुस्तक बनाया है,
जिसमें हर पेज सपनों का
सजाया है।
हालात भले हो कमजोर ,
लेकिन सपना मजबूत
बनाया है।
सपना पिरो कर ख्वाबों का पुस्तक बनाया है।
जमाना भले हमको गिराए ,
लेकिन अम्मा ने उठना सिखाया है।
भले समाज कहे हमें एक लड़की,
बापू ने हमें लड़का बनाया है।
जमाना भले खड़ी करें मुश्किल,
सपनों ने मुश्किलों से लड़ना सिखाया है।
ख्वाबों को बूंद बूंद भर कर,
सपनों का मटका बनाया है।
आज भले भीड़ में मै हूँ ,
अकेली कल कारवां भी हो जाना है
मुश्किलों से कभी ना हार कर,
कल सफलता के आयाम पाना है।
जमाना चले ना कभी मेरे संग,
अकेले ही मंजिल को पाना है।
रीति-रिवाजों की जंजीरों में हम
जकड़े नहीं।
कल ख्वाबों का परिंदा बन जाना है।
आज भले हो अंधेरा,
कल आसमा के उजाला को भी पाना है।
आज भले मै हूँ भीड़ में हो अकेली,
कल कारवां भी हो जाना है।
मुश्किलों से कभी ना हार कर,
कल सफलता के नए आयाम पाना है।
