माँ
माँ
माँ मीठी महक
घर आँगन की टहक
माँ है दुनिया का द्वारा
हो इसी से जगत पसारा
जीव जन्तु हों या मानव
माँ से हो सबकी आमद
माँ से हो दुनिया पालन
इसी से है मर्यादा चालन
माँ होती समाज का दर्पण
कितनी सशक्त करे समर्पण
बुलंदियाँ देश की चाहने वालो
बेटी हो सुरक्षित, भावी माँ उभारो।
