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Rupinder Pal Kaur Sandhu

Abstract

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Rupinder Pal Kaur Sandhu

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प्रकृति की शक्ति

प्रकृति की शक्ति

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चंदा मामा बन गया राखी

आसमान की कलाई पर

माँ धरा का प्रेम जताने


आसमान की कालिमा को

सुर्ख आभा की छूह देकर

हम बच्चों को आशा दिखाने


हम उलझे हैं दिनचर्या में

होड लगायें कार्यों में अपने

और अधिक कुशल होने की


भुला दिया है समय के भंवर ने

व्यवस्था की मंदी एवं तंगी ने

शक्ति है प्रकृति में तन मन धोने की।

          


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