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Rupinder Pal Kaur Sandhu

Tragedy

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Rupinder Pal Kaur Sandhu

Tragedy

पर्यावरण

पर्यावरण

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प्रायः प्रकृति पर प्रहार हो जाये

पर्यावरण की लेकिन भरपाई न हो पाये

 

प्रगति का मापदंड है पश्चिमी दोहराया

पर्यावरण बचाने का प्रयास न अपनाया


पागलपन है ये प्रगति की गति बढ़ाने को

पानी पवन पक्षी पर्वत पुकारें बचाने को


प्रकृति की पुकार सुनी  कब है गई

पर्यावरण को समझा गया ही नहीं


पर्याप्त नहीं पिघलने वाले हृदय बहुगुणा जैसे

पाकर सत्ता जुटें नेता खातों में भरने को पैसे


प्रकृति का हित या पर्यावरण का कोई मित

पिस जाता है हमारे देश में जैसे कोई दलित


प्रश्न पैदा हों  प्रायः बौद्धिक तल पर

पर  कब पूरे हों नीतियों के स्तर पर


प्रायः लोग भी व्यस्त प्रतिदिन पैसे कमाने में

पाएं न फुर्सत प्रकृति के प्रश्न सुलझाने में 

पश्चाताप ही आ रहा हमारे हिस्से 

प्रकोप प्रकृति के अब रोज के किस्से


प्रकृति ही प्रचण्ड हो देगी कोई दण्ड 

बचाने को पर्यावरण, आदमी तो है उद्दंड !



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