कुंडलियॉंज़िंदगीबीते पल-पल
कुंडलियॉंज़िंदगीबीते पल-पल
बीते पल-पल ज़िंदगी, गुजर रहा यह वक़्त।
जन कल की चिंता करें, जला रहें हैं रक़्त।।
जला रहें हैं रक़्त, चल समेटें सुख बिखरे।
सभी पलट दें तख़्त,देख फिर जीवन निखरे।।
हॅंसते-गाते गीत, धरा में पंछी जीते।
'जया' उड़ें रख प्रीत, निश्चिंत जीवन बीते।।
