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कुंडलियॉं
नैना
जन के नैना में दिखें,
मन के सारे भेद।
रहस्य गहरा देखिए,
समझ कर होय खेद।।
समझ कर होय खेद,
लगे मुॅंख सुंदर प्यारा।
दिल में है कुछ और,
बनावटी रूप सारा ।।
जया करें पहचान,
कोकिला,कौआ,मैना।
भू में जन घूमते,
छुपा कर अपने नैना।।
श्रीमती त्रिवेणी मिश्रा जया जिला-डिंडौरी मध्यप्रदेश
