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भोर सुहानी
कुंडलियां
1
भोर सुहानी
भोर सुहानी देखिए,
नभ का अन्तिम छोर।
चार दिशाओं में सुनो,
पंछी करते शोर।।
पंछी करते शोर,
पूर्व में छाई लाली।
झूम रहें हैं पेड़,
प्रकृति की सुन खुशहाली।।
जया बताए बात,
चल थाम सुबह की डोर।
बने दिवस खुशहाल,
देखें मनभावन भोर।।
2 सपने
सपने जैसे देखिए,
करिए वैसे काम।
जैसी जिसकी भावना,
वैसा है परिणाम।।
वैसा है परिणाम,
कामना रखिए आगे।
बढ़ता चल इंसान,
पथ से आलस्य भागे।।
जया जंग जन जीत,
पास रहते फिर अपने।
करिए सभी सच सपने।।
श्रीमती त्रिवेणी मिश्रा "जया" जिला-डिंडौरी मध्यप्रदेश
