मेरे अंगने में
मेरे अंगने में
मेरे अंगने में ,
दो फूल खिले
एक बेटा, एक बेटी ,
एक ..... बेटी
घरेलू परिस्थितियाॅं ,
कैसी भी रही
मैंने सोच
रखा था कि
दोनों को एक बराबर
सींचूॅंगी ।
दोनों हॅंसते- खेलते,
कुछ विरोधी
परिस्थितियों से ,
जूझते हुए बड़े
होकर ...
आज अच्छे ओहदे
पर
आसीन हैं।
सामाजिक विरोधाभास
के बावजूद भी,
उनके आचरण में
परिवर्तन न हुआ।
बाहरी आडंबरों
से दूर ...
धरती से सटे
मेरे ये फूल ...
अपने परिवार रूपी
अन्य फूलों को
एक साथ समेटने
में लगें हैं।
कभी हमने सींचा
था उन्हें,
आज वे हमें
सींच रहे हैं।
