दुष्ट से व्यवहार
दुष्ट से व्यवहार
माना दुष्ट हजार जग, पर तू बन जा हीरो,
गर्दन पर फिर वार कर,बन जाए वो जीरो।
लाख प्रयास करे दुश्मन,पर दिखला जोश,
सही वार गर भूलता,होगा फिर अफसोस।।
दुश्मन भी कुछ कम नहीं, करते लाखों वार,
पर अपनी बुद्धि चला, होगी दुश्मन ही हार।
जकड़ेंगे, पकड़ेंगे पर कर दे उनको भी फेल,
ऐसा करिश्मा कर दिखला, बन जाएगी रेल।।
जीना है अगर जगत, कर लो हौसले बुलंद,
वाकपटुता के बल सदा, अगले की तूती बंद।
हिम्मत जिसने हार दी,वो एक दिन हो बर्बाद,
आगे बढऩे की ठानी जिसने, जग करता याद।।
दिल और दिमाग मिल चले,होगी सदा जीत,
मुट्ठी में दुश्मन किया, हर जन करेगा प्रीत।
हौसले जिसके बुलंद हो,मिलते जन भी साथ,
अपनी कीर्ति इस जहान, बस अपने ही हाथ।।
देख दुष्ट धराशाई हो, रास्ता मिलेगा तब साफ,
पर एक ोच बना ले, दुश्मन को करना न माफ।
सदा वक्त के संग चले,शक्ति व्यर्थ नहीं प्रहार,
निर्धन,अबला,कमजोर संग,करना सदा इंसाफ।।