प्रेम-रत्न
प्रेम-रत्न
राधा ने जो श्री कृष्ण से किया...
मीरा ने जो श्री कृष्ण से किया...
वो प्रेम-उपासना अगर कर न पाओ,
तो किसी नेक दिल इंसान से छल न करो।
अगर दे न सको सच्चा प्रेम,
तो कम-से-कम प्रेम का झूठा अभिनय तो न करो !!
किसी भले मानस से विश्वासघात कर,
"प्रेम" शब्द से ही उनके मन में घृणा का भाव
पैदा करने पर मजबूर न करो।
प्रेम एक तपस्या है...जो कि बड़ी क़िस्मत से पूरी होती है।
इसीलिए अगर किसी नेकदिल इंसान का सच्चा प्रेम मिले,
तो उसे "परख" ज़रूर लेना,
मगर "दिल-में-कुछ और दिमाग-में-कुछ" रखकर
दिल की धड़कनों के साथ शतरंजी चाल खेलने की ज़ुर्रत न करो...!
ऊपरवाला सबका "हिसाब करता है"
जब इस दुनिया में तुम्हें कुछ अच्छा करने का मौक़ा मिले,
तो धोखाधड़ी-जालसाज़ी और दिल्लगी न करो !!