संजीवनी
संजीवनी
संजीवनी कौन सी औषधि
मिलती है कहाॅ
जीवन दायनी कहाती
मरते को बचाती
कहीं दूर
हिमगिरि में छिपी
लखन ने चखी
चख मृतसंजीवनी
क्या रहे लखन धरा पर
जग पर्याय परिवर्तन का
आवागमन का चक्र
रुका है कब
संजीवनी है शक्ति
मन और आत्मा में छिपी
अक्सर भूल जाती
जिजीविषा जीने की
आखिरी सांस तक
संजीवनी है चरित्र
अच्छा और बुरा समझाती
मन की आवाज है
सुनकर भी करते अनसुना
मन संजीवनी को
लिप्त पापाचार में
संजीवनी है हौसला
अक्सर टूटने लगता
समर संसार में
किसी अपने का पीठ थपथपाना
संजीवनी बन जाता
संजीवनी है समर्पण
पिता और माता से
पति और पत्नी का
भक्त का भगवान से
संजीवनी है गीत
रोते को हसाता
दुखों को मिटाता
मुस्कान लाता
संजीवनी है प्रेरणा
अक्सर मिलती रहती
बङों को पढ
और देख
पर बङा कौन
वही जो बङा कर दिखाता
संजीवनी है संघर्ष
रोज दिखता
अस्तित्व बचाने को
सम्मान की खातिर
संजीवनी है बलिदान
नहीं आसान कर्म
देश, धर्म, समाज के लिये
खुद मिट जाना
संजीवनी है प्रेम
न केवल नर नारी का
देश, और समाज से
हर जीव से
विश्व बंधुत्व का जनक
संजीवनी है खुद मृत्यु
शरीर बदल जाता
आत्मा अजर और अमर
नये कलेवर में
पथ पर बढना
मुक्त होने तक।
