यह आजादी है
यह आजादी है
एक चिड़िया का बच्चा
फड़फड़ा पंख अपने
उड़ने लगता उन्मुक्त गगन में
बातें करता आसमान से
यह आजादी है
धर्म जाति हो कोई भी
पर इंसान प्रथम
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा
रोक-टोक न कहीं
यह आजादी है
एक लड़की पढ़ लिख कर
है खड़ी निज पैरों पर
लेती फैसले खुद के
बेझिझक कहीं भी
यह आजादी है
रात का वक्त सुनसान
आज देर हो गयी
लड़की लौट रही देर से
पर पिता बेफिक्र
क्यों
भूखा भेड़िया कोई अब नहीं समाज में
यह आजादी है
हैसियत सबकी अलग सही
पर मजबूर न कोई
सक्षम निज खर्च उठाने में
रोटी, कपड़ा, मकान बहुत पीछे
हाथ न फैलाये कोई बच्चों को शिक्षित बनाने में
यह आजादी है
नर नारी में कोई भेद नहीं
दोनों दोनों के हैं पूरक
एक रथ के पहिये दो
जीवन को आगे ले जाते
यह आजादी है
अपना अपना धर्म निबाहो
अपना विचार खूब फैलाओ
पर मानवता की बात पड़े तो
धर्म निज भी भूल जाओ
यह आजादी है ।
