मन में दीप जलाऊं
मन में दीप जलाऊं
घोर तिमिर है मन भीतर
काम, क्रोध, तृष्णा
राग, द्वेष, पाप बुद्धि
कैसे तिमिर भगाऊं
मन में दीप जलाऊं
दीप कहाँ ढूंढूं ऐसा
तिमिर भगाये मन भीतर
आलोकित हो मन मेरा
आशाओं का पथ पकड़े
मन में दीप जलाऊं
संस्कारों का दीप बनाऊं
प्रभु भक्ति की बाती पाऊं
तेल बनाऊं प्रेम तत्व को
मन का तिमिर भगाऊं।
मन में दीप जलाऊं ।
