STORYMIRROR

Priya Saini

Tragedy

2.8  

Priya Saini

Tragedy

अदृश्य शत्रु (कोरोना)

अदृश्य शत्रु (कोरोना)

1 min
71


भयावह दृश्य है

शत्रु ये अदृश्य है


बेख़ौफ़ थी ये ज़िन्दगी

अब ख़ौफ यूं मंडरा रहा

प्रकृति के प्रकोप से

मनुष्य अब घबरा रहा


मनुष्य तू निडर था

देख! कौन अब डरा रहा

ज़िन्दगी की दौड़ में

कौन अब ठहरा रहा


शत्रु ये विशेष है

जंग अभी शेष है

सफलता की रहा में

विफलता भी विशेष है


भूल मत तू कौन है

प्रत्यक्ष या प्रमाण है

प्रमाणता को सिद्ध कर

यह तेरी पहचान है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy