जाने वाले...
जाने वाले...
मेरे ख़्वाब, मेरे बेवजह, अरमान यहाँ रखे हैं,
सुराही में कैद करके, आसमान यहाँ रखे हैं।
दिल मकान-सा ढाल कर, देखा है यार हमने,
तन्हाइयों के ढेर भर, साजो-सामान यहाँ रखे हैं।
मेरी रूह की दहलीज़ से लौटकर जाने वाले,
आज भी तेरे क़दमों के, निशान यहाँ रखे हैं।
परिंदे उड़ गए हैं छोड़कर, अपना शहर कब का,
उनके तिनकों से बने आज भी, मकान यहाँ रखे हैं।
जाने वाले तेरे क़दमो के, निशान यहाँ रखे हैं।