क्या लिखें ?
क्या लिखें ?


"आज क्या लिखें ?
कुछ तेरे नाम लिखें या तेरा नाम लिखें ?
ये मसरूफियत के दिन और ये हिज़्र के लम्हें,
ये बेख़याली रातें, बेख़ुदी के पल,
कोई गज़ल लिखें या फिर पैग़ाम लिखें।
एक शज़र है जिसे उजाड़ा है चंद तूफानों ने,
इस पर दुआ करें या फिर सलाम लिखें ।
मेरी वीरानियाँ, तन्हाइयां,अजमाइशें, बेचैनियां,
कशिश,आवारगी , परेशानियां,
तुझसे इश्क़ करें या ये दास्तान लिखें।
तेरी महफ़िल, तेरी खुशियाँ तुझको हों मुबारक,
मैं खुश हूं चलेगा, या परेशान लिखें।
आज क्या लिखे....,कुछ तेरे नाम लिखें, या तेरा नाम लिखें ?
तू पढ़े, मुस्कुराए, आँखों में अश्क़ आ जाएं,
लहू से तेरी ख़ातिर, कोई ऐसा क़लाम लिखें।
ज़िक्र-ए-वफ़ा की बात हो, तो नाम तेरा लूँ,
नूर-ओ-नाज़ का तज़किरा छिड़े, ज़हन तुझ पे जाए,
शबनम की बात हो, तेरे रुख़सार याद आएं,
अब्र की बात चले, तेरी ज़ुल्फों पर लतीफ़े हों,
मजलिसों पर, तेरा हँसना बेशुमार याद आए।
शाम-ओ-सहर के फ़िराक पर, तेरा जमाल लिखें,
आज क्या लिखें...., कुछ तेरे नाम लिखें या तेरा नाम लिखें?