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Sameer Faridi

Tragedy

3  

Sameer Faridi

Tragedy

और कुछ ?

और कुछ ?

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पास बैठो, तो बताएँ कुछ,

हाल दिल का, फिर सुनाए कुछ।


बरसों रखा खामोश लबों को,

ज़ुल्फ़ लहराओ, तो गुनगुनाए कुछ।


तुम तो निकले थे जां बचा कर,

हम पर गुज़री थी कैसे, बताएँ कुछ।


ज़ख्म सीने पे अब भी लगे हैं,

चोट खायी थी कैसे बताएँ कुछ।


तुमने देखी नहीं हैं ये आंखें,

है समंदर में क्या-क्या दिखाएँ कुछ।


ज़िक्र सुनते ही आँख रो पड़ी है,

मन नहीं है कि आगे सुनाएं कुछ।


तुम मिले हो तो ये भी बता दें,

अब हमारे नहीं दरमियां कुछ ।


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