..काफ़िर हो जाऊँ
..काफ़िर हो जाऊँ
कोई शौक नहीं तेरे बाद मुझे,
मेरे होठों पर तू कायम है,
मेरा हँसना तेरे दम से है,
मेरे जीने की तू आदत है।
मेरे लफ्ज़ों में लिपटा तू,
तू दरिया है इस प्यासे की,
तू तस्वीह की मोती जैसा,
मेरी शिद्दत और इबादत है।
तेरा ज़िक्र लगे कलमे जैसा,
तेरी बातों में मैं खो जाऊँ,
तेरी आँखों का काज़ल देखूँ,
मैं बोशे-बोशे हो जाऊँ।
ऐ मेरे ख़ुदा तू माफ करे,
अब होना है जो हो जाऊं,
बस इश्क़ करूँ, तुझे इश्क़ करूं,
तेरे इश्क़ में काफ़िर हो जाऊँ।
बारिश की मिट्टी जैसी,
खुशबू तेरी साँसों में,
एक क़तरा पीकर चैन मिले,
वो मै है तेरी आँखों में।
मैं खोया सा एक रहबर हूँ,
तेरे कदमों की पहचान करूँ,
उस हुजरे का दीवाना हूँ,
जो बसता तेरी बाहों में।
अब क्या माँगूँ हमदम तुझसे,
हर लम्हा तेरे नाम चले,
कभी रुख्सत होऊँ गर मौला,
तेरे क़दमों में ये जान चले।
ईमान बना लूँ मैं तुझको,
मूरीद तुम्हारा हो जाऊँ,
तू नाम पुकारे इश्क़ मेरा,
मैं इश्क़ का फ़िरका हो जाऊँ,
ऐ मेरे ख़ुदा तू माफ करे,
अब होना है जो हो जाऊं,
बस इश्क़ करूँ, तुझे इश्क़ करूं,
तेरे इश्क़ में काफ़िर हो जाऊँ।