कल का कोई क्यूं हिसाब रहने दू
कल का कोई क्यूं हिसाब रहने दू
कल का कोई क्यूं हिसाब रहने दूँ
खुद को अब क्यूं परेशान रहने दूँ
दिल आज भी तड़पता हैं तेरे लिये
पर अब इसको क्यूं बेजार रहने दूँ
हक है इश्क़ का तुझे भी, मुझे भी
खाली क्यूं, मेरा हि मकान रहने दूँ
कड़वी भी, मीठी भी हैं ये ज़िन्दगी
सपनो में क्यूं बस महताब रहने दूँ
वक़्त ही तो है, गुजर ही जायेगा
अब क्यूं तेरा भी अहसान रहने दूँ।