आवारा जानवर
आवारा जानवर
आज गाये हो रही आवारा है
इंसां बेशर्म हुआ बहुत सारा है
लाज,शर्म उनको आती नही है,
सब घट हुए पत्थरों के यारा है
मनुष्य में इन्हें लड़का चाहिये,
पशुओं में इन्हें गाय चाहिये,
इनके जुर्मों को देखकर,
ख़ुदा भी रो रहा बहुत सारा है
जानवर बेचारा दर-दर भटकते,
खाते थैली,क़भी भूखे से मरते,
आज गाये हो रही आवारा है
अब हवा हो रही स्वार्थी यारा है
आज जानवर मर रहे है
हम इंसान उन्हें हंस रहे है
एकदिन ऐसा भी आयेगा
वो हंसेगा इंसान रोयेगा
ख़ुदा करेगा इंसाफ हमारा है
जब दूध न देती है,
हो जाती वो लाचार चारा है
सब मारते उसे पत्थर,
उसे नही मारते है
जिसने किया उसे बेसहारा है
सुधर जाओ हे मानवों,
मत करो परेशान इनको,
इन जानवरों से ही मिला,
हमको जीने का सहारा है
न दो किसी पशु को दुत्कार,
खुदा देगा भव से तुम्हे तार,
जानवरों का रखो ख्याल,
ख़ुदा करेगा हित तुम्हारा है।