Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Priyadarshini Kumari

Tragedy

4  

Priyadarshini Kumari

Tragedy

लालची हवसी

लालची हवसी

1 min
231


ख़ौफ़नाक से भी ज़्यादा भयावह है ये सच..

उनकी खुद की ही सच्चाई जो खुद

से ही घृणा करती...

जीवन में ऐसे मोड़ आ गए जब थी वो,

किसी दरिंदे हवस के लालची शिकंजे में

क्या कर पाती छोटी सी मासूम की जान

जब वो हो जाती खून से लथपथ दरिंदों

की शिकार..

लाख रो रो के बोली छोड़ दो मेरा हाथ

मुझे छोड़ ना कर मेरा ऐसा अपमान

जीना मुश्किल हो जाएगा..

ना कर तू ऐसा हवसी का काम

पर कहा माने लालची हवसी के शिकार

कर दिया निर्वस्त्र उसको..

दे दिया हवसी का पहचान

फूल से कोमल शरीर पर कर

दिया दागों का निशान...

अब तो वह पल पल मरती रहती है

जीवन को अपने कोसती रहती है

है ऐसे मानवता पर धिधकार जो

करें नारियों का अपमान....!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy